Tuesday, 25 August 2020

प्रवासी मजदूर

सूरज डूबा तो होगा

मगर दिन ढला नही होगा

देखना तो होगा ही तुम्हें कैसे

तो सड़को पर जाओ

मजदूरों के पैरों का लहू 

अभी सड़को पर से सूखा नही होगा।।

                                       राहुल यदुवंशी अंकित

Thursday, 28 November 2019

मेरा शहर

हर राज हर जख्म को छुपाये बैठे हैं।

जिंदगी तेरे लिए शहर का कोना -कोना सजाये बैठे है।

दस्तक तू दे जा कभी मेरे भी दरवाजे पर।

हम हाथो में मेहंदी तेरे नाम की लगाये बैठे हैं।। 
                             
                                       Rahul yaduvanshi Ankit

Wednesday, 21 August 2019

मेरा शहर

इक दरिया है जो पार करके जाना था

मुझे मीनारों के उस पार जाना था

कोई छू ना सके मेरी उस अनोखी सी मंज़िल को

उसे बनाने मुझे समन्दर पार जो जाना था

                           Rahul yaduvanshi Ankit

Friday, 2 August 2019

मेरा शहर

उसकी गलियों से गुजरना  मुझे अच्छा लगता है

उसकी एक झलक को पाना मुझे अच्छा लगता है

किसी दिन जब वो ना दिखती है उन झरोखों से

मुझे उसकी यादों मे अकेले रोना अच्छा लगता है

                               Rahul yaduvanshi ankit
                                   

Monday, 17 June 2019

मेरा शहर

काश उल्फ़त के दिनों में मैं , तेरे साथ होता। 

पूरी जिन्दगी ना सही तेरे गमो में तेरे साथ होता।

बीत  गया जो कल अब उससे क्या सिकवा। 

काश तेरी अधूरी सी बची जिन्दगी में तेरे साथ होता।। 

                     राहुल यदुवंशी अंकित 


Sunday, 25 November 2018

मेरा शहर


कुछ अन्धे हैं कुछ बहरे हैं कुछ गये हैं खूब बौराय।

तानाशाही रोटी खाकर कर रहे हैं खूब अत्याचार।

इ. वि. वि. की राजनीती में से नीती गयी हेराय।

कुछ काने सेवक बन ,कर रहे हैं खूब राज।

तानाशाही की कई मिशालें जली हुई हैं यार।

उनमे से इक नई निष्कासन है मेरे लाल।

मत करना आवाज बुलंद हो जाओगे बेकार।

तुम्हारी एक छोटी सी चीख भी बना देगी तुमको भंगार।

कुछ अन्धे हैं कुछ बहरे हैं कुछ गये हैं खूब बौराय।

कुछ तो इस्तीफा दे - दे कर भी शासन रहे चलाय।

हरियर क्रांति के दूत थे उनको दिए भगाय।

हम तो सोचे थे एक - दो पर यहाँ तो कुल गए हैं बौराय।

                                                राहुल यदुवंशी अंकित

   
          

Sunday, 7 October 2018

मेरा शहर

कुछ राज है तेरी कस्ती में।

कुछ राज है तेरी बस्ती में।
  
यु ही नहीं निकलता ये कारवां।

गर एक भी डेग होता तेरी हस्ती में।।

                           राहुल यदुवंशी अंकित