Friday, 13 August 2021

इश्क़ और सत्ता

इलाज चलता रहा इश्क़ का हाकिम थे बड़े शहर में।
नब्ज़ टटोलते रहे की मौतों का काफ़िला निकल पड़ा।।
कुछ जले कुछ दबे कुछ को निग़ल गए  अफ़सरान।
लाशों की ख़ातिर कितनो की लम्बी लगी थी कतार।।
हर शख्स दिया वोट लेकर उम्मीदों की बाजार।
लम्पटों से नई अस्पतालों का करता रहा इंतजार।।
कतरा कतरा बेच कर भी थकता न ये शैतान।
इक सत्ता की खातिर हिन्द का खून भी किया कुर्बान।। 
                                        राहुल यदुवंशी अंकित

No comments: