खिल खिलाती महफिल की नूर है तू
सूखे में बारिश की एक बूद है तू
सजती नही महफिल जिस नाचीज के बिना
खाली बोतल में मदिरा की एक बूद है तू।।
राहुल यदुवंशी
सूखे में बारिश की एक बूद है तू
सजती नही महफिल जिस नाचीज के बिना
खाली बोतल में मदिरा की एक बूद है तू।।
राहुल यदुवंशी
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