चाहत भरी हुयी है किसी तमन्ना की खातिर।
टूटता है कोई तारा किसी सम्मा की खातिर।
ना चले हम उन्ही के रहो पर क्यों।
जब उमड़ते चिराग बुझ गए है इस वतन की खातिर।।
राहुल यदुवंशी
टूटता है कोई तारा किसी सम्मा की खातिर।
ना चले हम उन्ही के रहो पर क्यों।
जब उमड़ते चिराग बुझ गए है इस वतन की खातिर।।
राहुल यदुवंशी