Friday, 3 September 2021

संसद अवारा

अगर सड़कें खामोश हो जांए
 तो संसद आवारा हो जाएगी।
लोहिया जी का कथन सत्य साबित हुआ है और हो भी क्यू न क्योंकि आज की जो पढ़ी लिखी पीढ़ी है वो विभिन्न पार्टियों की विचारधारा में डॉक्टरेट की उपाधि लिए हुए हैं उनको राष्ट्रवाद के नाम पर अपने प्रमुख नेता के विचार और पड़ोसी देश की बुराई पता है बस और थोड़ा भावुक हुए तो अपनी ऑर्मी के प्रति नतमस्तक होते है और होना भी चाहिए।
लेकिन अगर आप इनमे से किसी एक के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगाना चाहते हैं तो बहुत सोच समझ के क्योंकि आपको तुरंत देशद्रोही घोषित कर दिया जाएगा।
रही बात संसद की आवारगी की तो सड़क पर उतरे कौन युवा तो ख़ुद संसद में बैठी सत्ताधारी पार्टी के विचारों के गुलाम बन गए हैं। और जो विपक्षी पार्टियाँ इस काम को अंजाम दे सकती थी वो खुद इस दौर से गुजर चुकी होती है या गुजरने वाली होती हैं । तो वो एक सधे कदम से आगे बढ़ती है क्योंकि उन्हें पता है कि कल हमे भी इसी जनता को मूर्ख बनाना है तो थोड़े बहुत उठापटक के साथ राजा और दरबार की प्रजा मिश्री खाते रहते है और एक दूसरे को अनचाहे ही बताते हैं की आज संसद को तुम निक्कमा और आवारा बनाओ कल हम इसी परम्परा को आगे बढ़ाएंगे। 

और कोई इन सबसे आगे की सोच के सड़को पर आया भी तो  उसके लिए देशद्रोही का टैग तैयार रहता है और जैसे ही आवाज बुलंद करने की कोशिश करता है देशद्रोही नामक छूरे से ज़बान कतर दी जाती है

                                                     धन्यवाद
                                             राहुल यदुवंशी अंकित
                                      केंद्रीय विश्वविद्यालय इलहाबाद