हर राज हर जख्म को छुपाये बैठे हैं।
जिंदगी तेरे लिए शहर का कोना -कोना सजाये बैठे है।
दस्तक तू दे जा कभी मेरे भी दरवाजे पर।
जिंदगी तेरे लिए शहर का कोना -कोना सजाये बैठे है।
दस्तक तू दे जा कभी मेरे भी दरवाजे पर।
हम हाथो में मेहंदी तेरे नाम की लगाये बैठे हैं।।
Rahul yaduvanshi Ankit